श्री मध्वाचार्य कृत द्वादश स्तोत्र - षष्टमस्तोत्रम् | SRI MADHVACHARYA KRUTA DWADASHA STOTRA - 6

श्री मध्वाचार्य कृत द्वादश स्तोत्र - षष्टमस्तोत्रम् | SRI MADHVACHARYA KRUTA DWADASHA STOTRA - 6


अथ षष्ठस्तोत्रम्

मत्स्यकरूप लयोदविहारिन् वेदविनेत्र चतुर्मुखवंद्य ।
कूर्मस्वरूपक मंदरधारिन् लोकविधारक देववरेण्य ॥ 1॥

सूकररूपक दानवशत्रो भूमिविधारक यज्ञावरांग ।
देव नृसिंह हिरण्यकशत्रो सर्व भयांतक दैवतबंधो ॥ 2॥

वामन वामन माणववेष दैत्यवरांतक कारणरूप ।
राम भृगूद्वह सूर्जितदीप्ते क्षत्रकुलांतक शंभुवरेण्य ॥ 3॥

राघव राघव राक्षस शत्रो मारुतिवल्लभ जानकिकांत ।
देवकिनंदन नंदकुमार वृंदावनांचन गोकुलचंद्र ॥ 4॥

कंदफलाशन सुंदररूप नंदितगोकुलवंदितपाद ।
इंद्रसुतावक नंदकहस्त चंदनचर्चित सुंदरिनाथ ॥ 5॥

इंदीवरोदर दलनयन मंदरधारिन् गोविंद वंदे ।
चंद्रशतानन कुंदसुहास नंदितदैवतानंदसुपूर्ण ॥ 6॥

देवकिनंदन सुंदररूप रुक्मिणिवल्लभ पांडवबंधो ।
दैत्यविमोहक नित्यसुखादे देवविबोधक बुद्धस्वरूप ॥ 7॥

दुष्टकुलांतक कल्किस्वरूप धर्मविवर्धन मूलयुगादे ।
नारायणामलकारणमूर्ते पूर्णगुणार्णव नित्यसुबोध ॥ 8॥

आनंदतीर्थकृता हरिगाथा पापहरा शुभनित्यसुखार्था ॥ 9॥

इति श्रीमदानंदतीर्थभगवत्पादाचार्य विरचितं
द्वादशस्तोत्रेषु षष्ठस्तोत्रं संपूर्णम्

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