श्री वामन देव जी की आरती | Shree Vaman dev ji ki Aarti
ॐ जय वामन देवा,हरि जय वामन देवा ||
बलि रजा कें द्वारे,बलि रजाके द्वारे सन्त करे सेवा |
वामन रूप अनुपम छत्र दंड शोभा,हरि छत्र दंड शोभा ||
तिलक भालकी मनोहर भक्तन मन मोहा |
आगम निगम पुराण बतावे, मुख मंडल शोभा,हरि मुख मंडल शोभा ||
करनन कुंडल भूषण,करनन कुंडल भूषण, पार पड़े सेवा |
परम कृपाला जाके भूमी तीन पड़ा,हरि भूमी तीन पड़ा ||
तीन पाव है, कोई,तीन पाव है कोई बलि अभिमान खड़ा |
प्रथम पाद रखे ब्रह्मा लोकमें दुजो धार धरा,हरि दुजो धार धरा ||
तृतीय पाद मस्तक पे,तृतीय पाद मस्तक पे,बलि अभिमान खड़ा |
रूप त्रिविक्रम हरे,जो सुखमे गावे,हरि जो चित्त से गावे ||
सुख सम्पती नाना विध,सुख सम्पती नाना विध,हरि जीसे पावे |
ॐ जय वामन देवा,ॐ जय वामन देवा हरि, जय वामन देवा ||
Image source:
'Deshaavathaaram5 vamanan' by Ks.mini, Image compressed, is licensed under CC BY-SA 3.0
एक टिप्पणी भेजें